"हे बालाजी प्रभु! मुझे क्षमा करें" – पवन कल्याण की प्रार्थना और सुधार की पहल
तिरुपति लड्डू विवाद के बीच, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने 11 दिनों का उपवास रखा और नंबूर के श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दीक्षा प्राप्त की। उनका यह उपवास तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के खुलासे के बाद किया गया। उन्होंने 22 सितंबर से उपवास शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह पाप केवल क्रूर हृदय वाले लोगों का है।
पवन कल्याण ने एक संदेश में लिखा कि तिरुमाला लड्डू प्रसाद, जिसे पहले उच्च सम्मान दिया जाता था, पिछले शासकों की लापरवाही और गलत कामों के कारण कलंकित हो गया है। इस मुद्दे के बारे में जानकर उन्हें गंभीर मानसिक परेशानी हुई। उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों से अपील की कि वे इस भयानक अपराध के लिए प्रायश्चित करें। उनका यह भी कहना था कि हिंदू समाज में भावनाएं आहत हुई हैं और आस्था को पुनर्जीवित करने का समय आ गया है।
पिछले शासकों की जिम्मेदारी: पवन कल्याण की आलोचना
उपमुख्यमंत्री ने पिछले प्रशासनों पर भी निशाना साधा, यह बताते हुए कि धार्मिक दायित्वों और तिरुमाला की पवित्रता का उल्लंघन करने वाले कार्यों ने हिंदू समाज की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उस युग के राक्षसी शासकों ने उन्हें भयभीत कर दिया था। पवन कल्याण के अनुसार, लड्डू प्रसाद में पशु वसा के उपयोग ने हिंदू धर्म को बहुत ठेस पहुंचाई है, और अब इसका सुधार आवश्यक है।
आस्था की पुनर्स्थापना: पवन कल्याण की दृष्टि
पवन कल्याण ने कहा कि आस्था को पुनर्जीवित करने का समय आ गया है। उन्होंने बताया कि उनके उपवास का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत प्रायश्चित नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि सभी धर्मानुयायियों को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उपमुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि अगर सभी एकजुट होकर इस मुद्दे का सामना करेंगे, तो तिरुपति की पवित्रता को फिर से बहाल किया जा सकेगा।
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